Management Funda

*गधे और कुत्ते का मैनेजमेंट फंडा*

एक रात जब पूरी दुनिया सो रही थी, तभी एक धोबी के घर में एक चोर घुस आया। धोबी गहरी नींद में सो रहा था, लेकिन उसका कुत्ता और गधा जाग रहे थे। कुत्ता अपने मालिक को सबक सिखाना चाहता था, क्योंकि वह उसका ख्याल नहीं रखता था।
इसलिए वह नहीं भौंका। गधे को चिंता होने लगी और उसने कुत्ते से कहा कि अगर वह नहीं भौंका तो उसे ही कुछ करना होगा। कुत्ते ने अपना मन नहीं बदला तो गधा ही जोर-जोर से रेंकने लगा। गधे का रेंकना सुनकर चोर भाग गया। धोबी उठा और गधे को बिना वजह रेंकने के लिए पीटने लगा।

कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि दूसरे के काम में टांग अड़ाने से और दूसरे के हिस्से का काम करने से कुछ भला नहीं होने वाला। इसलिए अपने में मस्त रहें।

चलिए अब इसी कहानी को दूसरे नजरिए से देखते हैं।

धोबी एक अव्वल दर्जे कॉर्पोरेट मैनेजमेंट का आदमी था। उसमें चीजों को अलग नजरिए से देखने और अलग सोचने की क्षमता थी। उसे यकीन था कि आधी रात को गधे के रेंकने की जरूर कोई वजह रही होगी। वह घर से थोड़ा बाहर निकला और तथ्यों की जांच पड़ताल कर उसने पाया कि घर में चोर घुसा था और गधा सिर्फ उसे आगाह करना चाहता था। गधे की पहल और ड्यूटी से बढ़कर काम करने की ललक को देखते हुए धोबी ने उसे ढेर सारी घास दी और पसंदीदा पालतू जानवर बना लिया। वहीं कुत्ते की जिंदगी में ज्यादा बदलाव नहीं आए सिवाय इसके कि गधा अब और उत्साह से कुत्ते का काम भी करने लगा। सेलरी बढऩे के समय पर कुत्ते को ८ मिले और गधे को ९ अंक। जल्द ही कुत्ते को अहसास हुआ कि उसकी सभी जिम्मेदारियां गधे ने संभाल ली हैं और वह अब आराम से समय काट सकता है। गधे पर अब अच्छा परफॉर्म करने का बोझ बढ़ गया। जल्द ही उस पर ढेर सारा काम आ गया और वह दबाव में रहने लगा। इससे परेशान होकर वह धोबी का घरछोडऩे की सोचने लगा।

कहानी से अब भी वही शिक्षा मिलती है कि दूसरे के काम में टांग अड़ाने से, दूसरे के हिस्से का काम करने से आपका भला नहीं होने वाला। इसलिए अपने में मस्त रहें।

डिस्क्लेमर- इस कहानी का कोई भी पात्र काल्पनिक नहीं है। इनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से संबंध सुनियोजित है।

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