Miyan Ji ki Billi

जुम्मन मियाँ की बाजार की एक गली में छोटी सी मगर बहुत पुरानी दरजी की दूकान थी। उनकी इकलौती सिलाई मशीन के बगल में एक बिल्ली बैठी एक पुराने गंदे कटोरे में दूध पी रही थी।
एक बहुत बड़ा कलापारखी जुम्मन मियाँ की दूकान के सामने से गुजरा। बिल्ली के कटोरे को देख
वह आश्चर्यचकित रह गया। वह कलापारखी होने के कारण जान गया कि कटोरा एक एंटीक आइटम है और कला के बाजार में बढ़िया कीमत में बिकेगा। लेकिन वह ये नहीं चाहता था की बड़े मियाँ को इस बात का पता लगे कि उनके पास मौजूद वह गंदा सा पुराना कटोरा इतना कीमती है। उसने दिमाग लगाया और जुम्मन मियाँ से बोला----
" बड़े मियाँ, आदाब, आप की बिल्ली बहुत प्यारी है, मुझे पसंद आ गयी है। क्या आप बिल्ली मुझे देंगे ? चाहे तो कीमत ले लीजिये।"
जुम्मन मियाँ ने पहले तो इनकार किया मगर जब कलापारखी कीमत बढाते बढाते 10000 रुपयों तक पहुँच गया तो जुम्मन मियाँ बिल्ली बेचने को राजी हो गए और दाम चुकाकर कलापारखी बिल्ली लेकर जाने लगा।
अचानक वह रुका और पलटकर जुम्मन मियाँ से बोला---" बड़े मियाँ बिल्ली तो आपने बेच दी। अब इस पुराने कटोरे का आप क्या करोगे। इसे भी मुझे ही दे दीजिये बिल्ली को दूध पिलाने के काम आयेगा, चाहे तो इसके भी 100 - 50 रूपये ले लीजिये। "

जुम्मन मियाँ ने जवाब दिया---- " नहीं साहब जी, कटोरा तो मैं किसी कीमत पर नहीं बेचूंगा क्योंकि इसी कटोरे की वजह से आज तक मैं 50 बिल्लियाँ बेच चुका हूँ " !!!!!

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